Aaj Ka Panchang 03 September: रविवार का पंचांग, शुभ मुहूर्त और शुभ योग

Aaj Ka Panchang: आज का पंचांग को हम रोज का पंचांग या दैनिक पंचांग और इंग्लिश में Daily Panchang भी कह सकते हैं। हम सभी चाहते हैं कि हमारे दिन की शुरुआत बढ़िया हो, जो कार्य हम आज करने जा रहे हैं उसमें हमें सफलता मिले। घर, ऑफिस या पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ में आज हम जो निर्णय करने वाले हैं हमें उनके परिणाम अच्छे मिलें| इसके लिये यह बहुत आवश्यक हैं कि वह कार्य हम शुभ समय, शुभ मुहूर्त में शुरु करें| महत्वपूर्ण निर्णय लेने के समय ग्रह, नक्षत्र की सकारात्मक ऊर्जा का संचार हमारे लिए बहुत जरूरी हैं| इन सभी की जानकारी हमें पंचांग से मिलती है।

आज यानि रविवार,03 सितम्बर 2023 को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (चौथ ४) तिथि है। आज की तिथि पर रेवती नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग रहेगा। आज के दिन चंद्रमा मीन राशि में मौजूद रहेंगे। विक्रम संवत 2080, शक संवत शोभकृत 1945 |  लोकेशन – Ujjain, Madhya Pradesh, India |

दिन के शुभ मुहूर्त (रविवार)

  • ब्रह्म मुहूर्त – 04:29 AM से 05:14 AM
  • अभिजीत मुहूर्त – 11:51 AM से 12:41 PM
  • अमृत काल – 08:25 AM से 09:54 AM

हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देंगे।

तिथिकृष्ण पक्ष चतुर्थी रात 08:50 PM (02 सितम्बर) से शाम 06:25 PM (03 सितम्बर) तक
नक्षत्ररेवती12:30 PM (02 सितम्बर) से 10:38 AM (03 सितम्बर)
करणबालव
पक्षकृष्ण पक्ष
योगवृद्धिकल सुबह 03:11 AM तक
दिनरविवार

सूर्य एवं चन्द्र गणना

सूर्योदय
सूर्यास्त
05:57:47 AM
06:35:23 PM
चंद्र उदय
चन्द्रास्त
08:56:08 PM
09:12:50 AM
चंद्र राशिमीन
ऋतुवर्षा

हिन्दू मास एवं वर्ष

शक संवत्1945
विक्रम संवत्2080
माह-अमान्ताश्रावण
माह-पुर्निमान्ताभाद्रपद

अशुभ मुहूर्त

राहु काल05:00:41 PM to 06:35:23 PM
यंमघन्त काल12:16:35 PM to 01:51:17 PM
गुलिकाल03:25:59 PM to 05:00:41 PM

आज का शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त11:51 AM to 12:41 PM

दैनिक पंचांग के मुख्य अंग

तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण दैनिक पंचांग के मुख्य पांच अंग होते हैं।

तिथि

हिन्दू काल गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में दो पक्ष होते हैं। एक पक्ष में पंद्रह तिथियां होती है। पहली तिथि को प्रतिपदा कहा जाता है। कृष्ण पक्ष की पहली तिथि को कृष्ण प्रतिपदा तथा शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को शुक्ल प्रतिपदा कहा जाता हैं। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की आखरी तिथि अमावस्या कहलाती है।

तिथियों के नाम – प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।

वार

एक सप्ताह में सात वार होते हैं जो कि सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार हैं।

नक्षत्र

  • आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है।
  • नक्षत्रों की संख्या ज्योतिष शास्त्र में 27 मानी गई है।
  • पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होते हैं उसी के नाम पर हिंदू महीनों के नाम रखे गये हैं।

27 नक्षत्रों के नाम – अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।

योग

  • सूर्य-चंद्रमा की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है।
  • अलग-अलग पंचांग व अलग-अलग ज्योतिषीय पद्धतियों में योगों की संख्या भी अलग-अलग होती है|
  • किसी किसी में यह संख्या 300 से भी ऊपर होती हैं लेकिन मुख्यत: इनकी संख्या 27 मानी जाती है।

27 योगों के नाम – विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण

किसी भी तिथि के आधे हिस्से को करण कहा जाता है। इस प्रकार एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। माह के दोनों पक्षों की तिथियों को मिलाकर देखा जाये तो 30 तिथियां बनती हैं इस प्रकार से करणों की संख्या भी 60 हो जाती है। लेकिन कुल 11 करण माने गये हैं|

  • करण के नाम – बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।
  • विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

डिसक्लेमर: ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/ सामग्री/ गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

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